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एक देशप्रेमी महाराजा की निशानी

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
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जब अंग्रेजों ने नई दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया तो उससे पहले राजधानी में वायसराय हाउस (वर्तमान में राष्ट्रपति भवन) में स्थित दिल्ली दरबार व अन्य इमारतों का निर्माण करवाया गया, जिनमें इस्तेमाल होनेवाले पत्थरों को उपलब्ध करवाया था जयपुर के महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने। वायसराय हाउस के दिल्ली दरबार में वायसराय के सिंहासन के बिलकुल सामने राजपथ के छोर पर इंडिया गेट स्थित था और जब वायसराय अपने सिंहासन पर बैठता था तो इंडिया गेट का ऊपरी भाग उसके पैरों के नीचे की सीध में दीखता था। इसपर अक्सर वायसराय खिलखिलाकर कहता था, “इंडिया इज़ अंडर माय फ़ीट।”


यह सुनकर महाराजा माधो सिंह को बहुत बुरा लगता था और वो वायसराय द्वारा अपने देश भारत का निरंतर अपमान किए जाने पर व्यथित रहते थे। इंग्लैंड जाने से पहले एक दिन वायसराय ने महाराजा माधो सिंह से कहा कि वो वायसराय हाउस और उसके इर्द-गिर्द बनी इमारतों को पत्थर उपलब्ध करवाने के बदले अपनी निशानी के रूप में किसी मनपसंद इमारत का निर्माण करवा सकते हैं। महाराजा माधो सिंह ने वायसराय के सिंहासन और इंडिया गेट के बीच जयपुर कॉलम नामक एक विशाल खम्बानुमा इमारत बनवा दी ताकि वायसराय को ‘इंडिया इज़ अंडर माय फ़ीट’ कहने का फिर से मौका न मिल सके। जब वायसराय इंग्लैंड से वापस लौटा तो जयपुर कॉलम देखकर उसे बड़ी खीज हुई पर वह कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि उसने ही महाराजा माधो सिंह को इमारत बनवाने की इजाजत दी थी सो उसने जयपुर कॉलम के ठीक ऊपर विक्टोरिया क्रॉस लगवा दिया, जो कि 90 साल की लीज पूरी होने पर ही शायद हट पाएगा।


लेखक : सुमित प्रताप सिंह

sumitpratapsingh.com

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