Menu
blogid : 4238 postid : 1188759

वो सिपाही (लघुकथा)

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
  • 196 Posts
  • 153 Comments

कार में जा रहे प्रेमी युगल में से प्रेमिका ने जब जून की तपती दोपहर में सड़क पर पिकेट पर खड़े सिपाही को देखा तो प्रेमी से कहा, “डार्लिंग देखो तो कितनी गर्मी हो रही है और ये सिपाही इस गर्मी में भी रोड पर खड़ा हुआ है।”

“डिअर ये अपनी ड्यूटी कर रहा है।” प्रेमी ने समझाया।
प्रेमिका बोली, “वो तो ठीक है। पर यार सोचो तो सही। टेम्परेचर 46° से ऊपर हो रखा है। न तो इसके आसपास पानी का इंतजाम है और न ही ऐसी कोई जगह जहाँ ये कुछ देर के लिए छाँव में जाकर सुस्ता ले। यार ये लोग इतनी गर्मी कैसे सह लेते हैं। अगर ए.सी. न हो तो मैं तो कुछ पलों में गर्मी के मारे मर ही जाऊँ।”
“स्वीट हार्ट जैसे हम लोग सुविधाओं के आदी हो चुके हैं, वैसे ही ये पुलिसवाले दुविधाओं के आदी हो चुके हैं। खैर हम भी कहाँ इन फालतू लोगों के चक्कर में पड़ गए। वैसे एक बताऊँ आज तुम बहुत हॉट लग रही हो।” प्रेमी ने रोमांटिक होते हुए कार को तेजी से उस सिपाही के बगल से निकालते हुए कहा।
प्रेमिका हर बार की तरह शरमाई नहीं, बल्कि हॉट शब्द को सुनते ही उसको अपने सामने पसीने से सनी वर्दी पहने, गर्मी से तमतमाए चेहरे और प्यास से सूख रहे गले संग उस तपती दोपहर में जलती सड़क पर ड्यूटी दे रहा पीछे छूटा वो सिपाही नज़र याद आने लगा।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

sumitpratapsingh.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh