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तमाशबीन (लघु कथा )

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
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पुलिस जिप्सी ने जैसे ही सड़क पर यू टर्न लिया, गलत दिशा से आ रही एक मोटरसाइकिल उससे टकरा गयी और उसपर सवार आदमी उछलकर कुछ दूर जा गिरा। पुलिस जिप्सी का ड्राइवर सूबे और उसका साथी हवलदार फत्ते झट से जिप्सी से नीचे उतरे और उस आदमी को सड़क से उठाकर उसे सड़क के एक किनारे बिठाकर उसे फर्स्ट ऐड देकर उसके सामान्य होने की प्रतीक्षा करने लगे। तभी सूबे ने देखा कि एक व्यक्ति अपने मोबाइल से उनकी रिकॉर्डिंग कर रहा है। यह देख सूबे को बीते दिनों मोबाइल से फ़िल्म बनाने और उसे तोड़-मरोड़कर अपने हिसाब से पुलिसवालों के खिलाफ इस्तेमाल करने की घटनाएँ ताज़ा हो गयीं। अपनी नौकरी खतरे में देख सूबे उस व्यक्ति से मोबाइल छीनने को उसपर झपटा, लेकिन वह व्यक्ति पलक झपकते ही वहाँ से उड़न छू हो गया। तभी वहाँ से गुज़र रहे एक पहलवान ने सूबे को टोककर उससे पूछा, “उस आदमी के पीछे क्यों भाग रहे थे? कौन था वो और उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ दिया जो उसे पकड़ने की इतनी जरुरत पड़ गयी?”

तभी मोटरसाइकिल सवार कराहते हुए उठा और पहलवान से बोला, “भाई साहब वह तमाशबीन था और ये तमाशबीन किसी की मदद करने के बजाय अपने मोबाइल से फ़िल्म बनाकर और उसे सब जगह भेजकर किसी न किसी बेचारे का दुनियाभर में तमाशा बनाते हैं। गलती मेरी थी जो मैं गलत साइड से जल्दबाजी में मोटरसाइकिल चलाकर जा रहा था। शुक्र है कि मेरे साथ कोई अनहोनी नहीं हुयी और भला हो इन पुलिसवाले भाइयों का जो इन्होंने समय पर सहायता देकर मुझे बचा लिया।”

तभी पहलवान ने अपनी कनखियों से अपने अगल-बगल में देखा तो पाया कि वहाँ मौजूद बाकी तमाशबीन भी वहाँ से खिसक चुके थे।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

http://sumitpratapsingh.com/

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