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फिल्म समीक्षा : ए बी सी डी 2

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
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फिल्म की शुरुआत होती है सुरेश (वरुण धवन) और उसकी डांस टीम का एक डांस प्रतियोगिता के फाइनल में पहुँचने और सुरेश और उसकी टीम से किसी न किसी तरह जुड़े लोगों द्वारा इस कामयाबी में अपनी भागीदारी दिखलाते  हुए चैनल पर अपना वक्तव्य देते हुए। सुरेश और उसकी टीम द्वारा प्रतियोगिता में शानदार परफॉरमेंस देने के बावजूद हार जाते हैं। कारण होता है उनके द्वारा विश्व के एक चर्चित डांस ग्रुप के डांस स्टेप्स की नक़ल करना। इसके बाद सुरेश और उसकी टीम को जगह-जगह अपमान का सामना करना पड़ता है। धीमे-धीमे सुरेश का डांस ग्रुप टूट जाता है और उसके साथ कुछ गिने-चुने साथी ही बचते हैं। एक दिन सुरेश योजना बनाता है कि वो सभी विश्व स्तर पर होनेवाली  हिप हॉप डांस प्रतियोगिता में जाकर अपनी प्रतिभा दिखाकर अपने ऊपर नकलची होने के कलंक को धोयेंगे। इस काम में वो विशु (प्रभुदेवा) की मदद लेते हैं और बंगलौर में होनेवाली डांस प्रतियोगिता जीतकर हिप हॉप डांस प्रतियोगिता के लिए भारतीय प्रतिनिधि बनने का गौरव प्राप्त करते हैं। सुरेश के बॉस द्वारा दगा देने के बाद विशु के दिमाग के कारण वो हिप हॉप प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भारत से लॉस वेगास की रवाना होते हैं। सुरेश और उसकी टीम विशु सर की आभारी होती है कि उनकी कृपा से वे सभी इस प्रतियोगिता में भाग लेने लॉस वेगास आ पाए, लेकिन हकीकत कुछ और होती है। असल में विशु ने लॉस वेगास तक पहुँचने के लिए सुरेश और उसकी टीम को सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल किया था। यही इस कहानी का सस्पेंस है पर सस्पेंस भी ऐसा कि  ‘खोदा पहाड़ निकला चूहा’ कहावत याद आती है ।

फिल्म की कहानी साधारण सी है। वरुण धवन और श्रद्धा कपूर का अभिनय ठीक-ठाक रहा है। जहाँ इस फिल्म में वरुण धवन डांस से अधिक अपनी मसल्स दिखाने को अधिक उत्सुक रहे वहीँ  श्रद्धा कपूर ने भी अंग प्रदर्शन करके वरुण को टक्कर देने का प्रयास किया है। प्रभुदेवा का डांस करने में कोई सानी नहीं लेकिन डायलॉग डिलीवरी में वो कमज़ोर लगे। फिर भी फिल्म के कुछ दृश्यों में उन्होंने हंसाया और भावुक किया यह भी बड़ी बात है। कहानी की रफ़्तार में कहीं-कहीं बहुत धीमापन आ जाता है। फिल्म में डांसर गजब का डांस करते दीखते हैं। डांस के हैरतगंज कारनामों से भरपूर दृश्य देखने योग्य हैं। ये दृश्य कुछ-कुछ वैसे ही हैं जैसे कि किसी मारधाड़ से भरपूर फिल्म में हीरो उड़-उड़कर अनेक बदमाशों को मार-मारकर ढेर कर डालता है। डांस प्रेमियों को यह फिल्म बेशक भाएगी, लेकिन डांस प्रेमियों को नेक सलाह है कि फिल्म के नाम ‘एनीबॉडी कैन डांस’ के अनुरूप वो इसमें उड़ने और उछलकूद करनेवाले दृश्यों की नक़ल न करें वर्ना उनका हाल श्रृद्धा कपूर से भी शायद बुरा हो। फिल्म में तो श्रृद्धा कपूर को रिप्लेस करने के लिए एक और हेरोइन मौजूद थी पर हर किसी की किस्मत में रिप्लेस की सुविधा नहीं होती। वैसे रेमो डिसूजा @ रमेश गोपी नायर द्वारा निर्देशित यह फिल्म डांस के शौकीनों को निराश नहीं करेगी।

समीक्षक : सुमित प्रताप सिंह

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