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बस में मेरी अगली सीट पर बैठे इन महोदय से काफी समय के बाद मुलाकात हुई। बातों ही बातों में इन्होंने बताया कि होमगार्ड की नौकरी तीन साल पूरी होने के बाद बहुत दिनों से बेरोजगार हैं। अब इन्होंने डी.टी.सी. की क्लस्टर बसों में कंडक्टर के पद के लिए आवेदन कर रखा है तथा कंडक्टर बनकर ये 10-11 हजार मासिक वेतन के साथ-साथ रोज के 400-500 रुपये की ऊपरी कमाई अलग से करने का स्वप्न देख रहे हैं। जब मैंने पूछा कि ऊपरी कमाई कैसे होती है, तो इन्होंने बताया कि कई बार कंडक्टर बस यात्रियों से रुपये लेकर उन्हें टिकट नहीं देते और उन रुपयों को जेब में डाल लेते हैं। इस कार्य में बस ड्राइवर व बस टिकट चैकर का हिस्से के बदले भरपूर सहयोग मिलता है।
इसलिए अगली बार जब आप रुपये दें और बस कंडक्टर बदले में टिकट न दे तो उसे हड़काकर कहियेगा , “टिकट प्लीज!”
सुमित प्रताप सिंह
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