- 196 Posts
- 153 Comments
इमाम साहब आपको दुनिया की कुछ खबर-अबर है या फिर अपने जहाँ में ही मस्त हैं। आपको बता दें कि ईराक जल रहा है। वहाँ आपकी कौम के लोग एक-दूसरे की जान के दुश्मन बने हुए हैं। आप ही तो कहते थे कि इस्लाम का उदय सामाजिक असमानताओं और बुराइयों को ख़त्म कर इंसान में भाईचारा पैदा करने के लिए हुआ है। फिर ऐसा मंज़र क्यों देखने को मिल रहा है जिसमें मुसलमान एक-दूसरे को खंजर भौंक रहे हैं। आप अक्सर हमारे धर्म और हमारी जाति प्रथा को पानी पी-पीकर कोसते रहते थे तो अब ये बताइए कि ये सुन्नी-शिया का मामला क्या है? आप वैसे तो हर उल-जलूल बात पर फतवा देते रहते हैं तो अब आपको क्यों साँप सूँघ गया है। अब अपनी धार्मिक निंद्रा त्यागकर उठिए और अल्लाह के नाम पर एक फतवा दे दीजिये कि धर्म के नाम पर ये हिंसा बंद की जाए और वैश्विक भाईचारे की ओर कदम बढ़ाये जायें। अगर फतवे से काम न चले तो आप अपनी कौम को समझ की गोली खिलाने के लिए ईराक की ओर जितना जल्दी हो सके रवाना हो जाइये और अपने साथ अपने प्यारे शुभचिंतकों बोले तो तथाकथित सेकुलरों को ले जाना मत भूलियेगा।
लेखक: सुमित प्रताप सिंह
sumitpratapsingh.com
Read Comments