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जबसे मोदी जी के नेतृत्व में राजग गठबंधन पूर्ण बहुमत में आया है तबसे ही मोदी जी के विरोधियों की हालत ऐसी हो गयी है “जैसे खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे”। जिन तथाकथित महानुभावों के समर्थन की खातिर वे दिन-रात मोदी जी व उनके सहयोगियों को गरियाते रहते थे उनकी हालत इतनी बुरी होगी ऐसा उन्होंने सोचा भी नहीं था। अब अपने प्यारे नेताओं की लोकतंत्र नामक लट्ठ से कमर टूटने के बाद मोदी विरोधियों के सपनों की नाव भी मोदी नाम की सुनामी के प्रभाव में आकर डूब चुकी है। हालाँकि अभी मोदी जी ने प्रधानमंत्री के पद की शपथ भी नहीं ली है फिर भी वे बेचारे दुखी मानव “अच्छे दिन आये कि नहीं” कह-कहकर चिल्लाने में मस्त हो रखे हैं। शायद ये उपाय इनके ग़मों को दूर करने का उनके द्वारा ढूँढा गया नया नुस्खा है। मोदी विरोधियों के इस प्रकार के मूर्खतापूर्ण व्यवहार के कारण अब एक नई कहावत ईजाद हो सकती है “मोदी विरोधी खम्बा नोचें”।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
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