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राष्ट्रवादियो आखिर वह शुभ दिन आ ही गया, जिसको पाने की खातिर हम सबने दिन-रात मिलकर परिश्रम किया. मैं उन सभी महानुभावों को भी धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने मुझे और मुझ जैसे अनेक राष्ट्रवादियों को नरेंद्र मोदी जी के पक्ष में लेखन करने के लिए निरंतर धमकियाँ दीं और मेरा व उनका भविष्य गर्त में गिराने की बात करते रहे. यदि वे ऐसा नहीं करते तो शायद मैं और मेरे सभी राष्ट्रवादी मित्र “अच्छे दिन आनेवाले हैं” का नारा देनेवाले मोदी जी के अभियान में इतनी दृढ़ता से न लग पाते. अब ऐसा अनुभव हो रहा कि हम असली आजादी की ओर बढ़ रहे हैं. आप सभी से निवेदन है कि संयम बरतते हुये अच्छे दिनों की प्रतीक्षा करें क्योंकि बुरे दिनों की परछाईं हटने में कुछ वक़्त तो लगेगा. हमने मोदी जी पर इतना यकीन किया तो कुछ और यकीन करें. हमारी आशाओं को वो और उनके सारथी राजनाथ सिंह जी अवश्य पूर्ण करेंगे. अब समय आ गया है जाति और धर्म विहीन राजनीति का. अब तक विभिन्न तथाकथित सेकुलर दलों ने हम भारतीयों को जाति और धर्म के आधार पर बाँटकर अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकीं, किन्तु अब जाति और धर्म की नहीं राष्ट्रवाद की राजनीति आरंभ होगी. और जो राष्ट्र विरुद्ध बात करेगा, उसके लिए समझौता एक्सप्रेस हमेशा तैयार है.
जय हिन्द!
वंदे मातरम!
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
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