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बस एक दिन का इंतज़ार और. कल लोकतंत्र के पर्व के अंतिम चरण के साथ लोकयुद्ध समाप्त हो जाएगा. आशा के साथ पूर्ण विश्वास है कि इस बार अन्यायी शासन का अंत होकर धर्म की जीत होगी. यदि इस बार के लोकयुद्ध को अधर्म के विरुद्ध धर्मयुद्ध की संज्ञा दी जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. धर्मयुद्ध के महायोद्धा के विरुद्ध जिस प्रकार अधर्मी और उनके अनुयायी सारी मर्यादाओं को चिता में जलाकर लड़े उससे साफ़ प्रतीत होता है कि अधर्मी और उनके अनुयायी अधर्म और अन्याय के होनेवाले भावी विनाश को भली-भांति अनुभव कर रहे थे. उन सभी धर्मयोद्धाओं को साधुवाद जिन्होंने दिन-रात का चैन त्यागकर इस धर्मयुद्ध में अपनी सहभागिता दर्ज की. अब हमें प्रतीक्षा है उस घड़ी की जब इस धर्मयुद्ध का महायोद्धा इसमें विजय श्री प्राप्त करके राष्ट्रधर्म का पालन करने के लिए भारत के सिंहासन पर बैठकर भारत देश में एक नये युग का सूत्रपात करेगा.
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
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