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इन दिनों चाय बेचनेवालों को अपमानित करने की परंपरा कुछ मानसिक रूप से दिवालिया लोगों ने आरंभ कर रखी है. इसके माध्यम से शायद वे अपना भ्रष्टाचार, लूट-खसोट व नाकारापन जनता के मन-मस्तिष्क से भुलवाना चाहते हैं. इस देश को उन्होंने एक विशेष परिवार की जागीर समझ कर रखा और सोचते हैं कि देश की जनता को पशु की भांति अपने हिसाब से हाँकने का उन्होंने ठेका ले रखा है. जनता ने उनपर विश्वास किया और इस विश्वास के बदले देश की भोली जनता को महंगाई, गरीबी और भ्रष्टाचार जैसे उपहार प्राप्त हुए. जनता की खून-पसीने की कमाई इन दुष्टों ने बटोरकर स्विस बैंक को सौंप दी और जनता को तंगहाली में मरने को छोड़ दिया. इस देश की जनता भी भली-भांति इस बात को समझ रही है, कि हमारे लिए इन भ्रष्ट चोर-लुटेरों की बजाय चाय वाले आदरणीय हैं, क्योंकि उनके द्वारा बनाई गई चाय हमें चुस्त-दुरुस्त और जाग्रत रखती है, परिणामस्वरूप हम चुस्त-दुरुस्त हालत में अपने घर की सुरक्षा इन चोर-लुटेरों से कर सकते हैं. आप क्या कहते हैं?
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