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एक पत्र होली मैया के नाम

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
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होली मैया!

सादर रंगस्ते!

उस दिन ड्यूटी समाप्त कर घर वापस लौट रहा था कि अचानक पीठ पर पानी का गुब्बारा किसी ने दे मारा. पीछे मुड़कर देखा तो एक छोटा बच्चा मनमोहक मुस्कान के साथ तोतली आवाज में बोला, “ओली है”. तब जाना कि आपका आगमन होने वाला है. नौकरी की व्यस्तता इतनी अधिक हो जाती है कि कोई त्यौहार अथवा कोई विशेष दिन याद ही नहीं रह पाता. त्यौहार के दिन ही सुबह-सवेरे आने वाले एस.एम्.एस. द्वारा पता चलता है की आज ये त्यौहार है तथा त्यौहार का आधा दिन तो एस.एम्.एस. पढने व उनके जवाब देने में ही चला जाता है बाकि जो समय बचता है तो एक प्रकार की रस्म अदायगी ही हो पाती है. कभी-कभी गाँव की बचपन में अनेक बार खेली होली याद आती है कि किस प्रकार हुरियार (होली खेलने वाले) फाग गाते हुए गाँव के हर घर में जाते थे व उस घर के बाहर रूककर फाग गाते थे और सबके रंग लगा कर दूसरे घर की और बढ़ जाते थे. लोग भी हुरियारों की सेवा में पान, सुपारी गुजियाँ व पापड़ आदि प्रस्तुत करते थे. उन्हें विभिन्न प्रकार का शरबत परोसा जाता था. ये सिलसिला कई दिनों तक चलता था. कितना प्रेम था, कितनी मस्ती थी उस होली में. यहाँ शहर में तो किसी के घर रंग लेकर होली खेलने जाओ तो घर वाले मुंह बनाकर दरवाजा ही बंद कर लेते हैं. खैर उनका व्यवहार भी कुछ हद तक ठीक ही है. आजकल शहर में लूटपाट व आतंकी वारदातें इतनी अधिक होने लगी हैं कि किसी पर विश्वास ही नहीं हो पाता. शहर के रंग व गुलाल भी विभिन्न रसायनों द्वारा निर्मित होते हैं. जिसके भी जाकर चिपटते हैं उसके चेहरे को त्वचा की कोई नई बीमारी अर्पण कर देते हैं. यहाँ की प्लास्टिक की पिचकारियाँ, गाँव की पीतल की मजबूत पिचकारियों के मुकाबले कहाँ ठहरने वालीं. खैर छोडिये इतना सब होने पर भी हम शहरी आपको यानी होली को मनाएंगे तो अवश्य ही. मिलावटी रंग, मिलावटी मिठाइयों व मिलावटी मन के साथ होली का त्यौहार हर बरस की भाँति धमा-चौकड़ी मचाते हुए मनाया जाएगा. इस होली पर लोगों की अनेक योजनायें हैं. धनिया मैकेनिक ने योजना बनाई है की इस होली पर वह मेरे भाई, जिसे वह सेठ जी के नाम से संबोधित करता है,की गाड़ी को बिलकुल ठीक करके और उसके लिए मेहनताना व इनाम लेकर अपनी बीबी का बटुआ नोटों से गरम करेगा व बीबी के हाथों से रोज़-रोज़ पिटने से मुक्ति पायेगा. मेरी कालोनी में रहने वाले चंपक लाल कई दिनों से स्वप्न देख रहा है कि वह अपने पड़ोस में रहने वाली कन्या चमेली को होली पर जमकर रंग लगाएगा व उससे प्रेम निवेदन करेगा. चमेली उसकी मंशा को पहले ही भांप चुकी है तथा वह भी इस प्रतीक्षा में है कि चंपक लाल के ऐसा करते ही वह अपने सैंडिल से उसकी जमकर मरम्मत करे. चाय की दुकान पर काम करने वाला घसीटा इस होली पर अपने मालिक को भांग पिला कर उसके हाथ-पाँव तोड़ने की फिराक में है. इस प्रकार से वह अपने मालिक द्वारा रोज़-रोज़ किये जाने वाले अपमान का उससे बदला ले सकेगा. पूरे देश में होली जमकर खेली जायेगी. आतंकी व नक्सली खून की होली इस बार शायद और ज़ोरदार ढंग से खेंलें. महाराष्ट्र व असम में उत्तर भारतीयों के साथ डंडा मार होली खेले जाने की पूरी संभावना है. जापान में सुनामी अपने अंदाज़ में होली खेलेगी. इतने विनाश से उसका पेट नहीं भरा है. शायद होली के विशेष दिन पर वह और अधिक विध्वंश मचाये. हर बार की भाँति इस बार भी लोग बुराई पर अच्छाई की जीत दर्शाने के लिए तुम्हें जलाएंगे. सदियों से आप यूं ही जलती आ रहीं हैं और भविष्य में भी यूं ही अग्नि में स्वाहा होती रहेंगी. इस बार आपसे विशेष प्रार्थना है कि इस बार जब आप जलें तो समाज में फैली सभी बुराइयों को भी अपने साथ जलाकर राख कर डालें तभी आपके जलने को सच्चे अर्थों में जलना माना जायेगा.

इस बार की होली शुभ और मंगलमय हो.

इसी कामना के साथ रंग भरा नमस्कार…

http://sumitpratapsingh.com/

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