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एक पत्र ऊपरवाले के नाम

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
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हे ऊपरवाले


सादर संसारस्ते!


ओ संसार बनाने वाले परम शक्तिधारक तुमने ये कैसा संसार बनाया. इसे बनाने से पहले क्या तुमने थोड़ा सा भी विचार किया था कि तुम आखिर बनाने क्या जा रहे हो. तुमने तो ये सोचा होगा कि चलो एक सुन्दर सा संसार बनाते हैं किन्तु बन गया गड्ड-मड्ड संसार. तुम्हारे द्वारा निर्मित संतानों ने इस इकलौते संसार को अपने हिसाब से कई भागों में बाँट लिया. और तो और इसने तुम्हें भी कई भागों में बाँट लिया. तुम्हारी संतान कई धर्मों में विभाजित हो चुकी है. कोई तुम्हें अपना ईश्वर बताता है, कोई खुदा कहता है तो कोई यीशु का पिता परमेश्वर. अब तुम ही बताओ कि वास्तव में तुम हो कौन. अलग-२ धर्म बना कर भी सब चैन से रहते तो भी ठीक था किन्तु नहीं. हिन्दुओं ने तुम्हें ३३ करोड़ भागों में विभाजित कर लिया व अनेक जातिओंमें बँट गए.मुस्लिमों ने शिया, सुन्नी व अहमदिया आदि फिरकों में खुद को बाँट लिया तथा ईसाई कैथोलिक, प्रोटेस्टेंटप्यूरिटन आदि धार्मिक साम्प्रदायों में टूट गए एवं आपस में निरंतर संघर्षरत हैं. तुम्हारे कुछ बच्चे शैतान के चंगुल में फंस कर ”जिहाद” कर रहे हैं. वो कहते हैं कि यह सब तुम्हारी खातिर कर रहे हैं. भला तुमने कभी यह चाहा होगा कि तुम्हारी संतानें एक-दूसरे के खून की प्यासी बनें. तुम उन्हें यह क्यों नहीं समझाते कि नरसंहार अथवा विस्फोट तुम नहीं चाहते. तुम्हारे नाम पर मध्यकाल में अनेक मंदिर व स्तूप तोड़ दिए गए व उनके स्थान पर मस्जिद व गिरिजाघरों का निर्माण किया गया.किन्तु बर्बरता से भला तुम्हें कोई पा सका. सब मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे व चर्च आदि में जा तुम्हें याद कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं और वहाँ से बाहर निकल फिर से बुरे कर्म आरम्भ कर देते हैं. तुमने मानव के रूप में अपनी सर्वश्रेष्ट कृति का निर्माण किया था किन्तु इस मानव ने तुम्हारे संसार को नारकीय बना डाला है.इसके मस्तिष्क में शैतान इतनी बुरी तरह पैठ बना चुका है कि अब तुम्हारे लिए वहाँ कोई स्थान नहीं रह गया है. तुम्हारे इस संसार में दिन-प्रतिदिन विषमताएं बढ़ती ही जा रही हैं.. कई राजा यहाँ करोड़ों, अरबों में खेल रहे रहे हैं तो किसी को एक समय की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती है. मानव की दुष्टता व धृष्टता आज सर्वोच्च शिखर पर है. कोई अपनी बेटी का गला रेत रहा है तो कोई अपने माता-पिता के खून से हाथ रंग रहा है. सड़कों पर ज़रा-२ सी बात के लिए लोग एक-दूजे के खून के प्यासे बन जाते है. बेटिओं को जन्म लेने से पहले कोख में ही मार दिया जाता हैं. नारियों को देवी का स्थान देने वाले भारत देश में कहीं नारी बहू के रूप में मिटटी का तेल डालकर ज़िंदा जला डाली जाती हैं तो कहीं कुँवारी कन्याएं दहेज़ के कारण शादी न होने पर फांसी के फंदे पर झूल जाती है. प्रेम प्रसंगवश कभी प्रेमी प्रेमिका को गोलियों से भून डालता है तो कभी प्रेमिका अपने प्रेमी को तंदूर में भून डालती है. चहुँ ओर मारकाट, छल-कपट व कुकर्मों को देखकर मन बुरी तरह व्यथित हो जाता है.कल समाचार पत्र पढ़ा तो उसमें एक महिला द्वारा मर्सी किलिंग के लिए सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई गयी थी. कुछ दशक पहले वह महिला एक हॉस्पिटल में नर्स थी तथा उसी हॉस्पिटल के एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ने उसके दुष्कर्म किया था व दुष्कर्म के उपरान्त उसके गले में कुत्ते का पट्टा बाँध कर उसे बहुत दूर तक घसीटा था. इस हैवानियत भरे उल्लेख को पढ़कर आखें भर आयीं. कभी-२ तो तुम भी यह सब देखकर रोते होगे. काश एक दिन ऐसा आये जब तुम इतना रोओ कि तुम्हारे आंसुओं से इस धरती पर प्रलय आ जाए और ये सम्पूर्ण पापी संसार नष्ट हो जाये और फिर से जब तुम एक नए संसार का निर्माण करो तो उसमें न कोई छोटा हो, न बड़ा हो. कोई जात-पात अथवा धर्म न हो. न कोई गरीब हो न ही कोई अमीर. कोई किसी से बैर न रखे. उस संसार में एक ही जात व धर्म हो जिसका नाम हो ”इंसानियत” और तुम्हारी सभी संतानें प्रेम पूर्वक मिल-जुल कर रहें.


तुम्हारे रोने की प्रतीक्षा में….

तुम्हारी शैतान संतानों में से एक…

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