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मेरी अंतिम इच्छा (कविता)

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
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ओ  प्रिये यदि कभी मैं

देश पर वारा  जाऊं

किसी रोज बदमाशों  से

मुठभेड़ में मारा जाऊं

तो मेरी अंतिम यात्रा में

कुछ पल को तुम आ जाना

मेरी चिता के पास बैठ

केवल कुछ अश्रु बहा जाना

मेरे शांत शरीर में

घाव कोई झलकता हो

उससे मद्धम-मद्धम

रक्त यदि टपकता हो

तो उस रक्त का कुछ अंश ले

अपनी मांग को भर लेना

मेरी अंतिम इच्छा की खातिर

ये झूठा दिखावा कर लेना

कोई सहेली पूछे तो

उसे तुम बहला देना

मेरी वीरता के उसको

तुम झूठे किस्से सुना  देना

किसी से तुम न कहना

मैं रहता था घबराया

मरते दम तक भी तुमसे मैं

प्रेम निवेदन न कर पाया

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