Menu
blogid : 4238 postid : 34

मेरी माँ का गंगा स्नान

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
  • 196 Posts
  • 153 Comments

भारत देश में गंगा नदी को बहुत ही आदर से देखा जाता है. इसे गंगा मैयाआदि उपनामों से भारतवासी सुशोभित करते हैं. सर्वधारणा है कि गंगा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. इस धारणा को सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे पापियों को पाप करने की खुली छूट मिल गई हो कि भैया चाहे जितने पाप करो और एक दिन आकर गंगा मैया में डुबकी लगा लो. लो धुल गए सारे पाप. अपनी सारी गंदगी गंगा मैया को अर्पण करके फिर से निकल पडो बुरे कामों का एक नया इतिहास लिखने. मैं भी पहले सोचता था कि ये तस्कर, चोर, बदमाश व लुटेरे इत्यादि इतने सारे बुरे कर्म करते हैं तथा जनता को इतना कष्ट देते हैं फिर भी पूरा जीवन प्रसन्नता से व्यतीत करते हैं. जबकि मैंने तो शास्त्रों में पढ़ा था कि बुरे कर्मों का दुष्परिणाम एक न एक दिन अवश्य भोगना पड़ता है. परन्तु मैं अब तक इस बात से अनजान था कि जिस प्रकार जटिल शब्दों को हल करने के लिए कुंजी बनाई जाती है उसी प्रकार शास्त्र लिखनेवाले विद्वानों ने पापों का परिणाम भोगने से बचने के लिए गंगा स्नानरुपी कुंजी पापियों को सुझाई होगी. मुझे गंगा मैया की इस स्थिति को देखकर अत्यंत दुःख होता है कि बेचारी सदियों से इन पापियों की गंदगी को सहती आ रही हैं. और तो और हमारे हिंदू धर्म के रीति रिवाज भी गंगा मैया को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अब देखिये इस नश्वर शरीर के जलने के पश्चात जो अस्थियां शेष बच जाती हैं उन्हें गंगा में प्रवाहित करने का रिवाज है. अब तो विदेशों से भी लोग गंगा मैया में अस्थियां प्रवाहित करने की इच्छा लिए भारत में आने लगे हैं.अब आप ही बताइये गंगा मैया दुखी नहीं होगी तो और क्या करेंगी. अपने देश का बोझ कम था जो अब विदेशियों को भी सहन करो. किन्तु क्या करें रिवाजों को तो नहीं बदला जा सकता.अब चाहें गंगा मैया दुखी हों या सुखी. मेरी माँ को ही ले लीजिए. उनके ह्रदय में गंगा मैया के प्रति महान आदर है और अक्सर गंगा स्नानकी मन्नत मांगती रहती हैं. हमारे देश भारत में मन्नत मांगने का रिवाज बहुत प्राचीन है. मन्नत से तात्पर्य है कि अमुक कार्य के पूरा होने पर अमुक कार्य करना. जैसे कि पिछले दिनों एक व्यक्ति ने बिहार में नीतिश कुमार के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की मन्नत मांगी थी और जब उसकी मन्नत पूरी हो गयी तो उसने अपने हाथ की एक उंगली काट कर ईश्वर को प्रस्तुत कर दी.परन्तु मेरी माँ के साथ ऐसा नहीं है. वह अक्सर मन्नत तो मांगती हैं किन्तु उसे पूरा करना भूल जाती हैं. उनकी सबसे प्रिय मन्नत है गंगा स्नान करना’. हालांकि वह दो–तीन बार गंगा स्नान कर चुकी हैं. एक बार मैं भी बचपन में उनके साथ गंगा स्नान को गया था. वहाँ गंगा मैया में डुबकी लगाते ही गंगा जी के जल में पैसे ढूँढने वाले का डंडा मेरे सर में पड़ा था जिसे अब तक नहीं भूल पाया हूँ. अब वह बेचारा भी क्या करता लोग गंगा मैया के जल में श्रद्धावश सिक्के फैंक जाते हैं और वह अपने डंडे के तले में चारकोल लगाकर उन्हें जल से निकालता रहता था. यही उसका रोजगार था. उस दिन मेरे नन्हे सर के रूप में उसे संभवत सिक्के के ही दर्शन हुए होंगे.तभी उसका डंडा मेरे सर पर पड़ा हो. बचपन से अब तक गंगा स्नान का सौभाग्य मुझ बदनसीब को नहीं मिला है किन्तु फिर सोचता हूँ कि मुझ जैसे बुरे कर्मों से डरने वाले को गंगा स्नान की आवश्यकता भी नहीं है. परन्तु मेरी माँ को गंगा स्नान अत्यधिक भाता है तभी तो गंगा स्नान की मन्नत मांगती रहती हैं. बड़ा भाई जब बेरोजगार था तथा दिल्ली पुलिस में भर्ती के लिए आवेदन किया तो माँ ने झट से मन्नत मांग ली कि बेटा भर्ती हो जाए तो गंगा स्नान करेंगी और साथ में वैष्णो देवी को भी फांस लिया. भाई भर्ती होकर ट्रेनिंग करके आ गया व नौकरी को भी कई साल हो गए किन्तु माता श्री मन्नत पूरी न कर पायीं. कभी कुछ काम पड़ने का बहाना बनाती तो कभी किसी बीमारी का. जब मैं बेरोजगार था तो पूरे परिवार को मेरी माँ का यह वाक्य कंठस्थ हो गया था तेरी नौकरी लग जाये तो मैं गंगा नहा आऊँ.मेरी भी नौकरी लगे कई साल हो गए किन्तु मेरी माँ को गंगा स्नान का समय न मिल पाया. गंगा मैया मेरी माँ के इंतज़ार में अपना समय काटे जा रही हैं किन्तु माँ को फुर्सत ही नहीं मिलती. एक दिन बहनों ने उनसे मजाक में कह दिया माँ लगता है अब तो भाई की शादी करके ही गंगा स्नान करोगी. माँ ने भी चौके पर छक्का मारा और बोलीं कि बेटे की शादी के बाद नहीं बेटी की शादी के बाद गंगा स्नान किया जाता है. बहनों ने भी गुगली फैंकी और पूछा, ‘‘लड़की शादी करने से क्या माँ–बाप का सिर से पाप उतर जाता है जो उसकी शादी के बाद गंगा स्नान किया जाता है?’’ माँ के पास इसका कोई उत्तर न था हाँ किन्तु उनके मन में गंगा मैया के लिए अपार श्रद्धा और गंगा स्नान की इच्छा अवश्य थी. अब देखते हैं कि मेरी माता श्री कब गंगा स्नान के लिए समय निकाल पाती हैं और कई मन्नतें जो उन पर उधार हैं कब तक पूरी हो पाती हैं. गंगा मैया भी नमस्कार मुद्रा में मेरी माँ की प्रतीक्षा में कब से खड़ी हैं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh